Thoughts on Shaheed Diwas

दुनिया की रंगीन छटाओं को जिनने ठुकराया था,
स्वतंत्रता के चरणों में अपना सर्वस्व चढ़ाया था

मिले देश को आज़ादी इसलिए सभी दुःख ज़ेल गए,
हम जी पाए इस खातीर वो खेल मौत का खेल गए

वन वन रहे भटकते जीवन में न सुख उठाया था,
स्वर्ग सरीखा भारत होगा ऐसा सपन सजाया था

टूट टूट कर बिखर गए जितने भी सपन संजोये रे
पहेले दास कबीरा रोये अब बाबा भी रोये रे........

बाबा सत्यनारायण मौर्य



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